Chandrayaan-3: चंद्रयान मिशन क्या होता है? चांद पर जाना क्यों जरुरी है?
चंद्रयान-3 एक मिशन है जो भारत के स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) द्वारा बनाया गया है और इसका काम है चांद पर सही तरीके से उतरना और नई-नई चीजों को एक्सप्लोर करना। चंद्रयान-3 के पहले भी चंद्रयान-2 को चांद पर भेजा गया था लेकिन चंद्रयान 2 में लैंडर विक्रम का सॉफ्ट लैंडिंग न होने से यह असफल रहा। आज हम जानेंगे ऑर्बिटर क्या है, लैंडर विक्रम क्या है और रोवर (प्रज्ञान) क्या है।
इसरो ( ISRO ) क्या है?
इसरो का फुल फॉर्म ISRO ( Indian Space Research Organisation) है जो स्पेस में नई नई तकनिक का खोज करती है। इसरो भारत सरकार की स्पेस एजेंसी है और यह दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है ।
*Note – आपको बता दे की चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है और पृथ्वी से चांद तक की दूरी 3,84,000 km है।
चंद्रयान-3 में कुल कितना हिस्सा है?
चंद्रयान-3 में कुल 3 हिस्से है ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर, चंद्रयान-3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है और यह भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3-M4 से बनाई गई है।
ऑर्बिटर : ऑर्बिटर चांद के 100किलोमीटर की ऊंचाई पर करेगा परिक्रमा, जो की विक्रम लैंडर से अलग हो गया होगा।
विक्रम (लैंडर) : विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा जिसके अंदर रोवर होगा और यह चांद की सतह को छूते ही रोवर को लैंड करेगा। यह एक दूसरे से अपना कनेक्शन बनाए रखेगा।
रोवर (प्रज्ञान): विक्रम लैंडर के सोलर पैनल पर जैसे ही सूरज की रोशनी पड़ेगी तो इसके अंदर से रोवर रिलीज़ होगी यह चांद के सतह पर उतरते ही 1 सेटिमिटर/सेकंड के रफ्तार से चलेगा।
चंद्रयान-3 कब लॉन्च हुआ?
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को 2:30 मिनट पर लॉन्च किया गया, चंद्रयान-3 को 23 अगस्त 2023 को 6:04 pm बजे चांद पर लैंड करना है. चंद्रयान 3 के पहले भी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च की गई थी जिसे 2 सितंबर 2019 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम को ऑर्बिटर से अलग होना था लेकीन लैंडर को सॉफ्ट लैंडिंग न होने के कारण ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम का कनेक्शन टूट गया, जिससे यह लैंडिंग में असफल रहा।
लेकीन हमारे देश के वैज्ञानिकों ISRO ने हार नहीं मानी और फिर से इसके ऊपर काम करना शुरू कर दिया। फिर चंद्रयान-3 को बनने से लेकर इसे लॉन्च करने की प्लान किया गया, जो 14 जुलाई 2023 को इसरो ने चंद्रयान-3 को 2:30 मिनट पर लॉन्च किया इसे 13 जुलाई को ही लॉन्च किया जाने वाला था लेकिन इसे एक दिन बाद लॉन्च किया गया।
चंद्रयान-3 कहां से लॉन्च हुआ था?
चंद्रयान-3 भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था और चंद्रयान-3 भारत के तीसरा चांद मिशन है।
Chandrayaan 3 Ko Banane Mein Kitna Paisa Laga?
चंद्रयान-3 को बनाने में कुल लागत 615 करोड़ रुपए लगी है और वहीं चंद्रयान-2 की लागत की बात करे तो इसे बनाने में कुल लागत 978 करोड़ रुपए लग गए थे जो चंद्रयान-3 के मुकाबले काफी ज्यादा थी।
क्यों खास है चंद्रयान-3 मिशन?
चंद्रयान-3 मिशन दुनिया के लिए बहुत ही खास है क्योंकि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा, क्योंकि इससे पहले अमेरिकी स्पेस कम्पनी (NASA), रुस, चीन ये सभी देश चांद के उतरी ध्रुव पर अपना मिशन लैंड किया था। आपको बता दे चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला यान होगा।
Also Read – Aditya-L1 मिशन क्या है? आदित्य-L1 कब लॉन्च होगा? – सूर्य का अध्ययन करना क्यों महत्वपूर्ण है?